सौराष्ट्र में स्थित जूनागढ़ एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल (Junagadh Tourist Place) है। गिरनार पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित जूनागढ़ में कई प्राचीन मंदिर, महलों के अवशेष आदि मौजूद हैं। यहां पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई भी हुई है। कहा जाता है कि जूनागढ़ का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। नवाबी ठाठ-बाट, प्राचीन किलों, महलों और अन्य ऐतिहासिक जगहों के कारण यह जगह हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है।

जूनागढ़ को पर्यटन की दृष्टिकोण से अधिक समृद्ध बनाने में यहां स्थित कई ऐतिहासिक इमारतों जैसे अपरकोट किला, जामा मस्जिद, भावनाथ मंदिर के साथ साथ सक्करबाग प्राणी उद्यान और गिर राष्ट्रीय प्राणी उद्यान का अहम योगदान है। यहाँ का चोरवाड़ बीच भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है।

जूनागढ़ का इतिहास History of Junagadh

जूनागढ़ में पूर्व हड़प्पा संस्कृति के भी निशान मिलते हैं जिनसे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ होगा। सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल के कई शिलालेख आज भी यहां देखने को मिलते हैं।

1730 में जूनागढ़ को स्वतंत्र रियासत घोषित करने का श्रेय मोहम्मद शेर खान बाबी को जाता है। आजादी के बाद जूनागढ़ को लेकर भारत और पाकिस्तान में काफी तनाव हुआ। जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब मुहम्मद महबत खान तृतीय जूनागढ़ का पाकिस्तान में विलय चाहते थे लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद 25 फरवरी 1948 को जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय हो गया।

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जूनागढ़ कैसे पहुंचेंHow to Reach Junagadh
हवाई मार्ग (By Flight) - जूनागढ़ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पोरबंदर और राजकोट हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग (By Train) - पोरबंदर, अहमदाबाद और अन्य कई शहरों से जूनागढ़ रेलवे स्टेशन तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग (By Road) - जूनागढ़ गुजरात के राजकोट, पोरबंदर, अहमदाबाद आदि सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।


जूनागढ़ घूमने का समयBest time to visit Junagadh

जूनागढ़ घूमने के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से लेकर मार्च तक का माना जाता है। इस दौरान यहां का मौसम बेहद शांत और ठंडा रहता है।

मेले और उत्सवFairs and festivals

जूनागढ़ का सबसे बड़ा त्यौहार भावनाथ मेला है। गिरनार पर्वत पर मनाए जाने वाले इस पर्व के पीछे भगवान शिव के तांडव नृत्य से जुड़ी कथा है। भावनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के दौरान मनाया जाने वाला यह पर्व पांच दिनों तक चलता है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय पंतग महोत्सव, लिली परिक्रमा आदि भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है।-

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