दिल्ली से सटी अरावली पहाडि़यों में ट्रेकिंग, कैपिंग और रॉक क्लाइबिंग करने के लिए अनेक उपयुक्त स्थान हैं। सितंबर से अप्रैल तक यहां ऐसी गतिविधियों का सुखद अनुभव किया जा सकता है।

हम जिक्र कर रहे हैं हरियाणा के सोहना कस्बे के समीप दमदमा झील से फरीदाबाद की ओर धौज नामक स्थान तक 10-12 किलोमीटर की ट्रेकिंग का। सोहना के समीप दमदमा झील पर पहुंचकर नजारा कुछ और ही हो जाता है। अरावली की ढलानों के बीच बनी इस झील के बनने की प्रक्रिया लगभग उसी प्रकार की है जैसे राजस्थान में उदयपुर की विशाल झीलों को प्रकृति ने बनाया है। अरावली के दक्षिणी ढलानों के परिणामस्वरूप इस झील का निर्माण हुआ है। वास्तव में अरावली पर्वत श्रृंखला अपने आप में अनोखी है। यह पर्वत भारत के पश्चिम में उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर मुख्यतया राजस्थान और कुछ हरियाणा के बीच, लगभग 800 कि.मी. तक लंबाई में फैला हुआ है। इसका एक कोना गुजरात और दूसरा दिल्ली की सीमा में समाप्त होता है। यह संसार के सबसे पुराने पर्वतों में से एक है। हिमालय के विपरीत इसकी ऊंचाई आदिकाल से मौसम के प्रभाव से घटती रही है। इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू में ‘गुरु शिखर’ है। जहां कई साहसिक गतिविधियां चलती रहती हैं और एक पर्वतारोहण संस्थान भी है।

दमदमा



बात करें दमदमा की। यहां से धौज की ओर ट्रेकिंग करने वालों को नाव से झील पार करनी पड़ती है। किसी-किसी ट्रेकिंग दल के सदस्य झील के किनारे एक दिन का कैंप लगाते हैं और फिर सवेरे-सवेरे अपने भ्रमण पर निकल पड़ते हैं। हां, यदि झील के रास्ते से नहीं जाना हो तो काफी घूमकर जाना पड़ता है। धौज के समीप बडखल झील और सूरजकुंड हैं। ट्रेकर्स चाहें तो वहां पहुंच कर भी ट्रेकिंग समाप्त कर सकते हैं। इस सुंदर झील के किनारे हरियाणा टूरिज्म का कॉम्पलेक्स बना हुआ है। यहां ठहरने और खाने-पीने का उचित प्रबंध है। कुछ शुल्क देकर झील में मछलियों का शिकार और नौका भ्रमण किया जा सकता है।

रॉक क्लाइबिंग

धौज क्षेत्र में भी नूंह तहसील के पहाड़ी क्षेत्र की तरह रॉक क्लाइबिंग के अनेक स्थान हैं। यहां भी एक-दो या अधिक दिनों के लिए कैंप लगाए जा सकते हैं। वीरान और बीहड़ इस क्षेत्र में ऊंट पर सवार कोई राहगीर कभी-कभी मिल जाता है परंतु पानी नहीं। अपने खान-पान की व्यवस्था करके चलना होता है। सुगमता से चलते-चलते और शाम होने से पहले ट्रेकर्स धौज पहुंच जाते हैं। यदि धौज में भी एक दिन का कैंप लगाना हो तो अंधेरा होने से पहले पानी की व्यवस्था करनी होती है। धौज से शहरी कोलाहल अधिक दूर नहीं है जहां से ट्रेकर्स अपने-अपने घर जाने के लिए एक दूसरे से विदा ले लेते हैं।

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