कोल्लम सबसे अच्छी तरह अपने प्राचीन नाम क्वीलॉन के नाम से जाना जाता है, यह शहर अपने वाणिज्य और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यह तटीय शहर, अश्तामुडी झील के तट पर फैला हुआ है और कोल्लम जिले के मुख्यालय होने के रूप में, इस शहर ने केरल की अर्थव्यवस्था और संस्कृति को असंख्य रूप से बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। इतिहास में इस बात के सबूत हैं कि पूर्व काल में कोल्लम का चीन, रोम और मध्य पूर्व के साथ बड़े व्यापारिक संबंध थे।
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शहर के, भारत के अन्य हिस्सों के साथ आंतरिक वाणिज्यिक संबंध थे और बाद में यह जल्द से जल्द उत्तम औद्योगिक केंद्रों में से एक बन गया। वर्तमान में कोल्लम को वैश्विक स्तर पर प्रीमियम गुणवत्ता वाले काजू का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक जाना जाता है। साथ ही कॉयर यानि नारियल की जटाओं से कई नए उत्पादों को भी बनाया जाने लगा है जिनसे यह शहर कुटीर उद्योगों का केंद्र बनकर सामने उभर रहा है।
एक अतुलनीय नजारे का अनुभव - कोल्लम के आस पास के स्थान
विस्तृत और विविध नजारों के कई विकल्पों के कारण, कोल्लम में साल भर पर्यटक भ्रमण के लिए आते रहते है। कोल्लम बीच, थंगासेरी बीच, एडवेंचर पार्क और थिरूमुल्लावरम बीच भी आगुतकों को असीमित मजे प्रदान करते हैं। ऐशतामुडी बैकवॉटर्स, मुनरो द्वीप, नीनदाकारा पोर्ट, अलुमकादावु नाव बिल्डिंग यार्ड और सासथामकोट्टा झील, यहां के पानी की सुंदरता और वंडर होने की घोषणा करते हैं।
रामेश्वर मंदिर, अंचीक्वाइल और मय्यानाड़ भी यहां के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है जिनका ऐतिहासिक महत्व भी अच्छी तरह है। माता अमृतानंदमयी देवी के भक्तों के लिए एक तीर्थ स्थल, अमृतापुरी आश्रम है जो हर साल लाखों पर्यटकों को खींचता है। आर्यनकावू, चावारा, कोट्टाराक्कारा, ओचिरा और करूणागप्पाल्ले, क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से हैं।
संपन्न संस्कृति
कोल्लम शहर का संस्कृति के साथ पुराना नाता है, प्राचीन समय में यह सीखने का केंद्र और सांस्कृतिक हब था। सांस्कृतिक प्रमुखता के कारण दक्षिण भारत के सभी विद्वान कोल्लम का भ्रमण करने में विश्वास रखते हैं। इस शहर का साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है : 14 वीं सदी के मलयालम साहित्य के दो दिग्गज साहित्यकार लीलीथीलकाम और उन्नूनीलि संदेसम ने इस शहर को सिटी ऑफ लेटर्स कहकर पुकारा था।
केरल के अनूठे डांस फार्म, कथकली ने कोट्टाराक्कारा थमपुरम के प्रयासों से एक नया आकार ले लिया। कई महान लेखकों और विद्यानों सहित केसी केसावापिल्लई, पारावूर केशवन, आसन और ई वी कृष्ण पिल्लई ने कोल्लम को केरल के भीतर और बाहरी क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाया।
त्यौहारों का आनंद
कोल्लम, त्यौहारों और समारोहों का घर है यहां साल के हर दौर में कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है इसलिए हर साल लाखों पर्यटक आकर्षित होते हैं। यहां हर साल दिसंबर - जनवरी महीने में क्राफ्ट फेस्टिवल यानि शिल्प महोत्सव लगता है जिसमें पूरे भारत से शिल्पकार अपनी - अपनी कलाकृतियों का प्रर्दशन करते हैं। यह शहर, नौका दौड़ और हाथी उत्सव के प्रमुख रूप से जाना जाता है जो दर्शकों को लुभावना दृश्य प्रदान करते है।
कोल्लम में अष्टमी रोहिणी, ओणम और विशु बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष जून के महीने में ओचिराकाली ( फैनसिंग फाइट ) का आयोजन किया जाता है जो अपनी विशिष्टता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। मारामडी मालसरम ( बैल दौड़ कार्निवाल ), कोल्लम पूरम, पारीप्पल्ली गाजामेला, अनाइडी हाथी जूलूस और पानमाना पूरम आदि भी कोल्लम में मनाए जाने वाले अन्य प्रमुख त्यौहार हैं जो पूरे देश से पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खीचतें है।
शानदार जायका
कोल्लम शहर, यहां के लाजबाव समुद्री भोजन के लिए जाना जाता है। यहां के आसपास के क्षेत्रों में कई अच्छे रेस्टोरेंट हैं जहां पर्यटक, केरल के समुद्री तट के नामी गिरामी जायको जैसे - मछली, केकड़ों, झीगों और स्कॉवडस का स्वाद चख सकते हैं।
कैसे पहुंचें कोल्लम
ह शहर अच्छी तरह से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, खासकर उस समय से जब से इस शहर की सीमाएं तिरूअनंतपुरम, पथानामथिट्टा और अलाप्पुझा जिले के साथ शेयर हुई हैं। यहां की जलवायु, लगभग साल भर सुखद रहती है और मानसून के दौरान होने वाली बारिश यहां के मौसम को और भी सुंदर बना देती है।
जो पर्यटक अपने साथ कोल्लम की यादें साथ ले जाना चाहते हैं उनके लिए इस शहर में कई बाजार वाले स्थान हैं जहां से वह खरीददारी कर सकते हैं। अपने अद्वितीय इतिहास, उत्कृष्ट जलवायु, दर्शनीय स्थलों के ढ़ेर सारे विकल्पों और उम्दा जायकों के साथ कोल्लम की सैर छुट्टी बिताने आएं लोगों के लिए एक ड्रीम हॉलीडे साबित होती है और एक अनोखा अनुभव होता है।
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