जाड़े का मौसम आते ही संगीत, नृत्य तथा कई अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के चलते उड़ीसा का पूरा माहौल नई ऊर्जा व उत्साह से भर उठता है। गर्मियों की लू और बारिश की फुहारों के बाद जब साफ-सुथरा आकाश जाड़े के सुहाने मौसम का स्वागत करता है तो उड़ीसा भी अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार हो जाता है। इस मौसम में दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखने, समझने व उसका आनंद लेने के लिए आते हैं, जो विभिन्न उत्सवों के जरिये ललित कलाओं के रूप में सामने होती है।
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कोणार्क फेस्टिवल हो या पुरी का श्रीक्षेत्र महोत्सव, उड़ीसा में होने वाले सभी उत्सव वहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसी गतिविधियों के महत्व को समझते हुए ही उड़ीसा का पर्यटन विभाग भुवनेश्वर में 6 से 15 जनवरी तक इकमरा उत्सव के आयोजन करता है। इस उत्सव को यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि भुवनेश्वर को बहुत पहले इकमरा क्षेत्र के नाम से जाना जाता रहा है। कई भागों में विभक्त और शहर के विभिन्न हिस्सों में आयोजित यह उत्सव आपको ऐसा एहसास देगा जिसे आप कभी भुला नहीं सकते हैं। छह जनवरी से शुरू होकर दस दिनों तक चलने वाला यह आयोजन आनंद में गरिमा का समावेश करता है, तो हवाओं में उत्सवधर्मिता का संचार भी करता है। इस दौरान कहीं हैंडलूम व हस्तकलाओं की प्रदर्शनी होती है तो कहीं फूलों की। राज्य की बहुरंगी संस्कृति का आभास देते फूड फेस्टिवल का अपना आनंद है तो पवित्र ताल बिंदुसागर के किनारे-किनारे घूमने का अपना अलग महत्व है। कुल मिलाकर यह सभी स्थितियां उत्सव में कई नए रंग जोड़ती हैं। उड़ीसा में कोई उत्सव तब तक पूरा नहीं माना जाता जब तक कि सुमधुर स्वरलहरियों के साथ गरिमापूर्ण ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति न हो। ओडिसी की विख्यात हस्तियां इस उत्सव को एक अलग तरह की गरिमा और आकर्षण देती हैं, जो इसकी एक अलग विशिष्टता है। मुक्तेश्वर आर्क की पृष्ठभूमि में अपनी कला की प्रस्तुति करते कलाकार किसी भी दर्शक को कल्पना की एक अलग दुनिया में ले जाने में समर्थ होते हैं।
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गरिमापूर्ण ओडिसी नृत्य के अलावा संगीत और नृत्य की विविध विधाओं से भरी उड़ीसा की लोकसंस्कृति इसे एक अलग रंग देती है। उड़ीसा की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों का है, जिसमें कुल 62 जनजातियां हैं। ऐसे में उनकी भागीदारी के बगैर यहां के किसी भी उत्सव को पूरा कैसे माना जा सकता है। इकमरा उत्सव में आदिवासी संस्कृति के प्रतिनिधित्व के लिए लोकनृत्य का आयोजन भी किया जाता है।
स्थानीय संस्कृति को समग्र अभिव्यक्ति देने के लिए सुविचारित और सुनियोजित ढंग से राज्य की राजधानी में होने वाले इस आयोजन का उड़ीसा के सांस्कृतिक कैलेंडर में बहुत महत्व है।
हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट एक्सपो: इसे आप उत्सव की पूर्वपीठिका कह सकते हैं। पहली जनवरी से ही शुरू होने वाली यह प्रदर्शनी एग़्जीबिशन ग्राउंड में 15 जनवरी तक चलती है।
लोकनृत्य उत्सव : इकमरा हाट के मुक्ताकाशी मंच पर 6 से 11 जनवरी तक चलता है।
इंटरनेशनल फूड कोर्ट : इकमरा हाट के एग़्जीबिशन ग्राउंड में यह मेला 6 से 15 जनवरी तक चलता है।
फ्लॉवर शो : इकमरा कानन में 7 और 8 जनवरी को होता है। ऐसा ही एक अन्य आयोजन नाल्को नगर के नेशनल रो़ज कनवेंशन में 15-16 जनवरी को होता है।
पवित्र बिंदुसागर ताल के किनारे-किनारे परिक्रमा का आयोजन पहले 7 से 8 जनवरी और फिर 14 से 25 जनवरी तक किया जाता है।
मुक्तेश्वर डांस फेस्टिवल : ओडिसी संगीत-नृत्य की प्रसिद्ध हस्तियों की प्रस्तुति मुक्तेश्वर मंदिर प्रांगण में 12 से 15 जनवरी तक देख सकते हैं।
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