Maklodganj 9 Famous Sights

मैकलॉडगंज धौलाधार पहाड़ियों से घिरा हिमाचल प्रदेश का पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां बड़ी संख्या में तिब्बती माइग्रेंट्स बसे हैं, जिनके कल्चर की झलक पूरे शहर में नजर आती है। ज्यादातर टूरिस्ट बौद्ध कल्चर और रिलीजन को जानने के लिए मैकलॉडगंज आते हैं। यहां तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का घर है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। यहां यूनीक स्टाइल के कैफे और रेस्टोरेंट्स हैं, जहां थाई, चाइनीज, तिब्बतियन, इटालियन, जैपनीज और कॉन्टिनेंटल फूड अवेलेबल है। हम आपको बता रहे हैं मैकलॉडगंज के कुछ टूरिस्ट स्पॉट्स के बारे में...

बिर बिलिंग

जमीन से 2400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है बिर बिलिंग। 17 वीं सदी में इस जगह के अस्तित्व में आने के प्रमाण मिलते हैं, समय- समय पर यहां कई राजाओं ने शासन किया है। लेकिन अब ये जगह एशिया की बेस्ट पैराग्लाइडिंग प्लेस कहलाती है। ये जगह जंगल कैपिंग और पैराग्लाइडिंग के लिए मशहूर है। यहां अक्सर पैराग्लाइडिंग टूर्नामेंट्स होते हैं, जिसमें दुनिया भर के लोग शामिल होते हैं। 2015 में यहां पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप खेला गया था।

 Maklodganj 9 Famous Sightsत्रिउंड हिल ट्रैकिंग - त्रिउंड ट्रैक गालू मंदिर से शुरू होता है। यहां पहुंचने के लिए आप मैकलॉडगंज से टैक्सी या ऑटो रिक्शा के जरिए धरमकोट (3 किमी) आइए। धरमकोट से गालू मंदिर एक किलोमीटर का रास्ता है। गालू मंदिर से त्रिउंड की दूरी 6 किलोमीटर है। इसके अलावा भागसू नाथ से भी छोटे ट्रैक के जरिए गालू मंदिर पहुंचा जा सकता है। इस ट्रैक को करने में 4-5 घंटे लगते हैं। ट्रैक के दौरान आपके भागसू गांव, मैकलॉडगंज, धर्मशाला वैली, शिवालिक हिल्स और कांगड़ा वैली का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। पूरा रास्ता बलूत, देवदार और बुरुंश के पेड़ों से घिरा हुआ है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए आसान ट्रैक है और सालभर खुला रहता है।
आप चाहें तो त्रिउंड पहुंचकर हिमाचल टूरिज्म के फॉरेस्ट गेस्ट हाउस या कैम्प में रुक सकते हैं। दूसरे दिन लाहेश गुफा के लिए 5 घंटे का ट्रैक किया जा सकता है। त्रिउंड से ही लाका ग्लेशियर का भी ट्रैक किया जा सकता है।

सेंट जॉर्ज चर्च - समुद्र तल से 5600 फुट की ऊंचाई पर बसा ये चर्च 1852 में बनाया गया था। 1905 में भूकंप से हुई भारी तबाही के बावजूद यह आज भी ठीक हालत में है। चर्च के नजदीक ही वायसराय लॉर्ड इलगिन जेम्स ब्रूस का स्मारक भी बना है। चर्च में विंडो ग्लास पेंटिंग लगाई गई है, जिसे इटालियन आर्टिस्ट ने बनाया था। मैकलॉडगंज बस स्टेशन से 20 मिनट वॉक करके यहां पहुंचा जा सकता है। यह सिर्फ रविवार को ही प्रार्थना के समय (सुबह 10 -12) ही खोला जाता है। हालांकि, टूरिस्ट बाहर से चर्च आर्किटेक्चर को देख सकते हैं।

नामग्याल मोनेस्ट्री - यहां 14वें दलाई लामा के घर के अलावा मॉनेस्ट्री और तांत्रिक कॉलेज है। 1959 में चीन के तिब्बत पर कब्जा करने के बाद लामा समेत हजारों तिब्बती भारत आ गए थे। इनमें 55 भिक्षु भी शामिल थे, जो तिब्बत की पवित्र जगह नामग्याल मॉनेस्ट्री से थे। दलाई लामा को भारत में राजनीतिक शरण मिलने के बाद इन्हीं भिक्षुओं ने मैकलॉडगंज में नामग्याल मोनेस्ट्री की स्थापना की। बीते 50 सालों से यहां बड़ी संख्या में तिब्बती माइग्रेंट्स रह रहे हैं, जिस कारण इसे अब 'लिटिल ल्हासा' कहा जाने लगा है। यहां बुद्ध धर्म, मेडिटेशन और योग की पढ़ाई भी होती है। यहां हर शाम भिक्षुओं के बीच ह्यूमर डिबेट होती है, जिसे टूरिस्ट भी देख सकते हैं।

भागसूनाग मंदिर और फॉल - शिव का यह प्राचीन मंदिर मैक्लॉडगंज से करीब तीन किलोमीटर ऊपर है। राजा भागसू ने नाग देवता को मनाने के लिए यह मंदिर बनवाया था। कहा जाता है कि राजा ने पवित्र नाग झील से पानी चुरा लिया था, जिसके बाद नाग देवता नाराज हो गए थे। बाद भागसू ने नाग देवता से क्षमा मांगने के लिए इसे बनवाया। यह सुबह 5 से दोपहर 12 और शाम 4 से रात 9 बजे तक खुलता है। मंदिर से बायीं ओर कुछ ही दूरी पर डल झील है। झरने से आने वाला पानी यहां बनाए गए एक साफ-सुथरे पूल मे इकट्ठा कर लिया जाता है, जिसमें लोग स्नान करते हैं। मंदिर से कुछ ही दूरी पर भागसूनाग झरना है। मानसून सीजन में इसमें 30 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है।

रोजी एंड संस - ये हिमाचल प्रदेश की सबसे पुरानी दुकान है। पारसी फैमिली नौरोजी इसे ब्रिटिश टाइम में खोला था। अब इसे दलाई लामा के दोस्त नौजेर नौरोजी इसे चलाते हैं। ब्रिटिश टाइम में यहां बेकरी आइटम, टोबैको, शराब और हथियार तक बेचे जाते थे। लेकिन अब यहां सिर्फ न्यूजपेपर, मैगजीन और कन्फेक्शनरी आइटम बेचे जाते हैं। 156 साल पहले शुरू हुई इस दुकान में आज चल रही है। यहां का इन्फ्रास्टक्चर लकड़ी से बना है।

त्रिलोकनाथ गुफा मंदिर: यह एक प्राचीन मंदिर है। जो अपने धार्मिक महत्व और रॉक कला के लिए मशहूर है। स्टलैक्टाइट और स्टलैग्माइट से जुड़ी जानकारी सुनकर और देखकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। त्रिलोकनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर त्रिलोकनाथ गांव है। यहां पर लगभग 50 घर है, जो किसी झुंड की तरह नजर आते हैं। यहां एक गुरुद्वारा है। अगर आप इस गांव में रुकना चाहे तो किराए पर कमरे भी मिल सकते हैं। गुरुद्वारे वालों का एक गेस्ट हाउस भी है, जहां आप स्टे कर सकते हैं।

धर्मशाला स्टेडियम- धौलाधार पहाड़ियों से घिरा ये शानदार स्टेडियम धर्मशाला से है। ये कांगड़ा के गागल एयरपोर्ट से 12 किलोमीटर दूर है। स्टेडियम 2003 में बनकर तैयार हो गया था, जबकि यहां पर पहला वनडे इंटरनेशनल मुकाबला 2013 में खेला गया। यह भारत का इकलौता स्टेडियम है, जहां रेग्रास का यूज किया जाता है। इसकी खासियत है कि ये -10 डिग्री सेल्सियस में भी खराब नहीं होती।

क्या खरीदें-
मैकलॉडगंज में आप तिब्बती कल्चर से जुड़ी कई चीज़ें खरीद सकते हैं। जैसे कि तिब्बतियन सिंगिंग बाउल, जो अष्ट धातु से बना होता है। इस बाउल का इस्तेमाल बुद्धिस्ट भिक्षु मेडिटेशन के लिए करते हैं। इसके अलावा तिब्बती ज्वेलरी, थंगका पेंटिंग, तिब्बतियन कारपेट भी खरीदे जा सकते हैं। यहां के लोकल मार्केट से आप हेल्थ बुद्धा, स्लीपिंग बुद्धा, पीस बुद्धा के स्टैचू भी ले सकते हैं। इसके साथ ही प्रेयर बेल, चाम डांस मास्क की भी बिक्री यहां बड़े पैमाने पर होती है। 


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