जाड़े के दिनों में छुट्टियां बिताने के लिए समुद्र के तटवर्ती शहर अच्छे समझे जाते हैं। वहां आपको खुशगवार मौसम के साथ ही ठहरने-खाने की अच्छी सुविधाएं व जीवनशैली में प्रयोग की खुली आजादी मिलती है। 7516 किमी लंबी समुद्रतट रेखा वाले इस देश में दुनिया के सबसे सुन्दर तटों में से कुछ मौजूद हैं। लाखों लोग हर साल इन तटों की सैर के लिए आते हैं तथा समुद्र के किनारे मौजूद प्रकृति की अनूठी थाती सूर्य-जल-रेत की त्रयी का पूरा आनंद उठाते हैं। देश के तीन तरफ फैले समुद्रतटों में से प्रत्येक की अपनी अलग खासियत है।

समुद्रतटों की यात्रा को इधर ट्रेवल कंपनियों के पैकेजों ने अधिक आसान व मजेदार बना दिया है। कई एजेंसियां ऐसे ट्रिप्स आयोजित करती हैं। तीन दिन से लेकर पंद्रह दिन तक की अवधि वाले इन ट्रिप्स के सुविधाओं के लिहाज से अलग-अलग खर्च हैं। वैसे तीन दिवसीय ट्रिप्स पर अमूमन छह हजार से 21 हजार तक खर्च होते हैं। जबकि एक सप्ताह के लिए आपको दस से 30 हजार और दो सप्ताह के लिए 20 से 50 हजार रुपये देने पड़ सकते हैं। पैकेज के मूल्य सुविधाओं व सीजन के अनुसार घटते-बढ़ते भी रहते हैं। ध्यान रहे यह मूल्य सिर्फ ट्रेवल पैकेज का है, जिसमें घूमने, खाने और ठहरने जैसी सुविधाएं तो शामिल होती हैं, पर खरीदारी नहीं। बेहतर होगा कि अपनी जरूरतों तथा अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवस्था करके चलें। आप क्या पसंद करते हैं, यह आप पर निर्भर है। फिलहाल यहां आपके लिए प्रस्तुत है देश के प्रमुख समुद्रतटों की विहंगम जानकारी।

जीवंतता का पर्याय गुजरात

अपनी जीवंतता व समृद्धि के लिए प्रसिद्ध गुजरात के समुद्रतट बेहद सुंदर हैं। दियु के किनारे स्थित अहमदपुर मांडवी इसका सबसे सुंदर समुद्रतट है। यहां पानी साफ-सुथरा होने के कारण आप स्नान व तैराकी के अलावा वाटर स्कूटर, स्कीइंग, सर्फिग, पैरा सेलिंग और स्पीड बोट ट्रिप्स आदि जलक्रीड़ाओं का मजा ले सकते हैं। अहमदाबाद से इस तट के लिए नियमित बसें हैं। रेल के जरिये देलवाड़ा तक पहुंचा जा सकता है, जो इस तट से केवल नौ किमी दूर है और निकटतम हवाई अड्डा केशोड 145 किमी दूर है। द्वारकाधीश मंदिर के लिए प्रसिद्ध द्वारका के समुद्रतट पर कई तरह के पक्षियों के अलावा समुद्री कछुवे, ऑक्टोपस व स्टारफिश देख सकते हैं। यहां समुद्रतटों में चोरवाड़, गोपनाथ, बेट द्वारका और वेरावल भी छुट्टियां बिताने के लिए उत्कृष्ट हैं।

गोवा में कई विकल्प

पर्यटन स्थलों में अलग हैसियत रखने वाले गोवा की पहचान ही समुद्रतटों से है। यहां आपके पास हर तरह के विकल्प होंगे। चाहें तो भीड़भाड़ वाले स्थान पर वक्त बिताएं या फिर एकांत में। अंजुना बीच पणजी से मात्र 18 किमी दूर है। चपोरा किले से सटे इस बीच के पास ही अल्बुकर्क महल है। पणजी से 18 किमी दूर बागा बीच पर आप मीलों तक हरियाली के बीच झूमते पेड़ों के झुरमुट से समुद्र की छटा निहार सकते हैं। पणजी से 50 किमी दूर आरामबोल बीच है। उत्तरी गोवा के इस बीच की खासियत चट्टानों पर की गई कलाकारी है। हरियाली से भरे मीरामार को गोल्डन बीच के नाम से जाना जाता है। बेतुल बीच पर फैले पाम के पेड़ इसे अलग रंग देते हैं। सूर्य, रेत व समुद्र की त्रिवेणी के लिए प्रसिद्ध कोल्बा बीच पर ठहरने की अच्छी सुविधाएं होने से यहां विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। प्रमुख शहरों से वायु मार्ग से जुड़े गोवा के लिए पुणे व मुंबई से बसें भी मिलती हैं। कोंकण रेलवे की ट्रेन से भी गोवा पहुंच सकते हैं। गोवाभ्रमण के लिए टैक्सी व बसों के अलावा भाड़े पर मोटरसाइकिल भी ले सकते हैं।

केरल की सांस्कृतिक विरासत

आयुर्वेद या चिकित्सा पर्यटन के लिए केरल की ख्याति तो इधर के एक-डेढ़ दशक में हुई है, पहले यह सांस्कृतिक विरासत और सुंदर समुद्रतटों के लिए ही जाना जाता था। इसके बेहतरीन तट रेतीले किनारों, चट्टानी द्वीपों व नारियल के पेड़ों से घिरे हैं। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल कोवलम में तीन अर्द्ध चंद्राकार समुद्रतट हैं। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध तट लाइटहाउस है। तिरुवनंतपुरम से मात्र 16 किमी दूर इस तट पर पहुंचना भी आसान है। यहां महंगे और सस्ते दोनों तरह के आवास उपलब्ध हैं। वारकला का शांत पप्पनसम समुद्रतट रेत के विस्तार, स्वच्छ झरनों व चट्टानी पहाडि़यों के लिए मशहूर है। नियमित बसों के अलावा यहां रेल से भी पहुंचा जा सकता है। कोझीकोड से 160 किमी दूर बेकल बीच भी बहुत सुंदर है।

वैभव तमिलनाडु का

तमिलनाडु के मैरीना, महाबलीपुरम व कन्याकुमारी सागरतट बहत प्रसिद्ध हैं। चेन्नई के पूर्वी किनारे पर स्थित मैरीना बीच से सूर्योदय व सूर्यास्त देखने का अनुभव अनूठा है। चेन्नई से 58 किमी दूर ममल्लापुरम को महाबलीपुरम नाम से भी जाना जाता है। प्रकृति के सौंदर्य की दृष्टि से तो यह खास है ही, पत्थरों को तराश कर बनाई गई मूर्तियां इसे अलग वैभव देती हैं। कन्याकुमारी तो अपनी भौगोलिक स्थिति की दृष्टि से ही अनूठा है। बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर से घिरे होने से इसे त्रिवेणी संगमम कहते हैं।

उड़ीसा के शांत सागरतट

जगन्नाथ मंदिर के लिए प्रख्यात उड़ीसा के प्राचीन शहर पुरी का दूसरा गौरव समुद्रतट है। भुवनेश्वर से मात्र 60 किमी दूर स्थित इस तट की सुंदरता देखते बनती है। इसके चौड़े पाट पर प्राय: मेले जैसा दृश्य होता है, पर समुद्र में तैराकी तब तक करने लायक नहीं है जब तक स्थानीय प्रकृति की सही जानकारी न हो। यहां समुद्रतट के निकट ही कई रिसॉर्ट और गेस्ट हाउस हैं। दूसरा प्रसिद्ध समुद्रतट गोपालपुर ऑन सी भुवनेश्वर से 186 किमी दूर है। यहां आपको एकांत के अलावा नौकायन व सर्फिग की सुविधा मिल सकती है। भुवनेश्वर से 205 किमी दूर चांदीपुर भी ऐसा ही शांत सागरतट है। चांदनी रात में यहां की रेत चांदी के समान चमकती है। सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध कोणार्क का समुद्रतट अपनी विरल छवियों के लिए जाना जाता है।

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